कुछ लोग जिवन मे बङी मेहनत व लगन के साथ तिर्थ,तप, जप,पूजा पाठ, दान धर्म तो करते है, मगर माता-पिता, गुरुदेव, कुलदेवी और देवता ,स्थान देवता, ग्राम देवता, क्षेत्रपाल देवता, वास्तु देवता, आदि का तिरस्कार करते हैँ। धिक्कार है फिर भी जीवन मे अच्छे पद प्रतिष्ठा, पैसा, उतम स्वास्थय व सेवा भावी सन्तान कि कामना करते है। ऐसे लोगो को भटकते मूर्ख के सिवाय कुछ नही कहा जा सकता है।

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मैं मेंरे लोकप्रिय देव धाम श्री संकटमोचन हनुमानजी

इस ब्लॉग के माध्यम से हिन्दू धर्म को सम्‍पूर्ण विश्‍व में जन-जन तक पहुचाना चाहता हूँ और इसमें आपका साथ मिल जाये तो और बहुत ख़ुशी होगी

यह ब्लॉग श्रद्धालु भक्तों की जानकारी तथा उनके मार्गदर्शन के ध्येय हेतु अर्पित एक पूर्णतया अव्यावसायिक ब्लॉग वेबसाइट है।

इस ब्लॉग में पुरे भारत और आस-पास के देशों में हिन्दू धर्म, हिन्दू पर्व, त्यौहार, देवी-देवताओं से सम्बंधित धार्मिक पुण्य स्थल व् उनके माहत्म्य,धाम, 12-ज्योतिर्लिंग, 52-शक्तिपीठ, सप्त नदी, सप्त मुनि, नवरात्र, सावन माह, दुर्गापूजा, दीपावली, होली, एकादशी, रामायण-महाभारत से जुड़े पहलुओं को यहाँ परस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ

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धर्मप्रेमी दर्शन आपकी सेवा में हाजिर है सभी धर्म प्रेमियोँ को मेरा यानि पेपसिह राठौङ तोगावास कि तरफ से सादर प्रणाम।- पेपसिह राठौङ तोगावास

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"मेरा धर्म दृष्टिकोण" मेरे दृष्टिकोण में जीवन के कुछ क्षण वास्तव में इतने सरस और अविस्मरणीय होते हैं,जिनकी स्मृतियाँ सदैव के लिए ज़हन में मधुरता भर देती है !भगवान से यही प्रार्थना है कि यह मधुरता आजन्म आप के और मेरे साथ रहे !

"यदा यदा ही धर्मस्य,ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानम् धर्मस्य,तदात्मनं सृजाम्यहम् ||
परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
धर्मसंस्थापनार्थाय,संभवामि युगे युगे ||"
गीता में भगवानश्रीकृष्ण ने कहा है कि,जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मेरी कोई शक्ति इस धरा धाम पर, अवतार लेकर भक्तों के दु:ख दूर करती है और धर्म की स्थापना करती है। भारत के तीर्थ स्थलों में कोई भोले का धाम है तो कोई जगत् नियंता श्री विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है। कोई श्री राम के चरण रज से परम पवित्र है तो कोई श्री कृष्ण की जीवन,कर्म व लीला भूमि है। कोई देवी मां के पूजनादि की आदि भूमि है तो कोई संत महात्माओं की कृपा दृष्टि से धर्म नगरी के रूप में स्थापित हुआ।

भारतीय संस्कृति में मानव जीवन के लक्ष्य भौतिक सुख तथा आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए अनेक देवी देवताओं की पूजा का विधान है जिनमें पंचदेव प्रमुख हैं। पंच देवों का तेज पुंज श्री हनुमान जी हैं। माता अन्जनी के गर्भ से प्रकट हनुमान जी में पांच देवताओं का तेज समाहित हैं।
अजर, अमर, गुणनिधि,सुत होहु' यह वरदान माता जानकी जी ने हनुमान जी को अशोक वाटिका में दिया था। स्वयं भगवान् श्रीराम ने कहा था कि- 'सुन कपि तोहि समान उपकारी,नहि कोउ सुर, नर, मुनि,तुनधारी।' बल और बुद्धि के प्रतीक हनुमान जी राम और जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है,उनमें बजरंगबली भी हैं। पवनसुत हनुमानजी भगवान् शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार हैं। हनुमानजी का अवतार भगवान् राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं।

प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित सात करोड़ मन्त्रों में श्री हनुमान जी की पूजा का विशेष उल्लेख है। श्री राम भक्त, रूद्र अवतार,सूर्य-शिष्य, वायु-पुत्र,केसरी-नन्दन, महाबल,श्री बालाजी के नाम से प्रसिद्ध तथा हनुमान जी पूरे भारतवर्ष में पूजे जाते हैं और जन-जन के आराध्य देव हैं। बिना भेदभाव के सभी हनुमान अर्चना के अधिकारी हैं। अतुलनीय बलशाली होने के फलस्वरूप इन्हें बालाजी की संज्ञा दी गई है। देश के प्रत्येक क्षेत्र में हनुमान जी की पूजा की अलग परम्परा है।

सभी भक्त अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा और उपासना करते है। परंतु इस युग में भगवान शिव के ग्यारवें अवतार हनुमान जी को सबसे ज़्यादा पूजा जाता है। इसी कारण हनुमान जी को कलयुग का जीवंत देवता भी कहा गया है।

इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री करायी और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया,यह सर्वविदित है।

भक्त की हर बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हनुमान जी आसानी से कर देते है। संपूर्ण भारत देश में हनुमान जी के लाखों मंदिर स्थित है परंतु कुछ विशेषता के आधार पर हनुमान जी के प्रसिद्ध मंदिर भी है जहाँ भक्तों का सैलाब दिखाई देता है। इनमे से हर मंदिर की अपनी एक विशेषता है कोई मंदीर अपनी प्राचीनता की लिये फेमस है तो कोइ मंदीर अपनी भव्यता के लिए। जबकि कई मंदिर अपनी अनोखी हनुमान मूर्त्तियों के लिए, वैसे तो हनुमान जी के सिद्धपीठों की गणना नहीं की जा सकती है, फिर भी यहाँ पर कुछ प्रमुख सिद्धपीठों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है।जिस किसी भी स्थान पर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है,उस स्थान पर स्थित हनुमान जी को भक्त आस्था आप्लावित होकर अपना सिद्धपीठ मानते हैं।देश के दूरस्थ गाँवों एवं कस्बों में भी ऐसे मंदिर स्थित हैं जो कि भले ही राज्य या जिला-स्तर पर प्रसिद्ध नहीं हैं,पर भक्तजनों के लिए सिद्धपीठ हैं।

सभी धर्म प्रेमियोँ को मेरा यानि पेपसिह राठौङ तोगावास कि तरफ से सादर प्रणाम।

Tuesday 3 February 2015

13-प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली (Hanuman Mandir, Connaught Place, New Delhi)



13-प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली
(Hanuman Mandir, Connaught Place, New Delhi)
प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली

कनॉट प्लेस- कनॉट प्लेनस दिल्लीस का प्रमुख व्यीवसायिक केंद्र है। इसका नाम ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्यप ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया था। इस मार्केट का डिजाइन डब्यू एच निकोल और टॉर रसेल ने बनाया था। यह मार्केट अपने समय की भारत की सबसे बड़ी मार्केट थी। अपनी स्थारपना के 65 साल बाद भी यह दिल्ली में खरीदारी का प्रमुख केंद्र है। यहां के इनर सर्किल में लगभग सभी अंतर्राष्ट्री य ब्रैंड के कपड़ों के शोरूम, रेस्टोररेंट और बार हैं। यहां किताबों की दुकानें भी हैं जहां आपको भारत के बारे में जानकारी देने वाली बहुत अच्छीद किताबें मिल जाएंगी।
प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली - यहां महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। यहां पर उपस्थित बाल हनुमानजी स्वयंभू हैं। बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है। दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल में बसाया गया था।
इसके साथ बने शनि मंदिर का भी प्राचीन इतिहास है। एक दक्षिण भारतीय द्वारा बनवाए गए कनॉट प्लेस शनि मंदिर में दुनिया भर के दक्षिण भारतीय दर्शनों के लिए आते हैं। प्रत्येक मंगलवार एवं विशेषतः हनुमान जयंती के पावन पर्व पर यहां भजन संध्या और भंडारे लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता है। इसके साथ ही भागीरथी संस्था के तत्वाधान में संध्या का आयोजन किया जाता है।
कनॉट प्लेस का हनुमान मंदिर

तब पांडव इंद्रप्रस्थ पर और कौरव हस्तिनापुर पर राज्य करते थे। ये दोनों ही कुरु वंश से निकले थे। हिन्दू मान्यता के अनुसार पांडवों में द्वितीय भीम को हनुमान जी का भाई माना जाता है। दोनों ही वायु-पुत्र कहे जाते हैं। इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों ने इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी। ये मंदिर उन्हीं पांच में से एक है। यह सुंदर मंदिर कनॉट प्‍लेस (राजीव चौक) के पश्चिम में स्थित है।
इतिहास
वैसे तो हनुमानजी के देश भर में कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं लेकिन बात राजधानी दिल्ली की की जाए तो यहां कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर की काफी मान्यता है। यहां पर उपस्थित बाल हनुमानजी स्वयंभू हैं। यहां प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है लेकिन मंगलवार के दिन श्रद्धालुओं की काफी लंबी लंबी पंक्तियां देखने को मिलती हैं। गत वर्ष दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान इस मंदिर के बाहरी क्षेत्र का भी कायाकल्प किया गया। इस मंदिर का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि माना जाता है कि इसकी स्थापना पांडवों ने की थी।
इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि अपनी दिल्ली यात्रा के समय संत तुलसीदास जी भी इस मंदिर में आए थे और पूजन अर्चन किया था। यही नहीं यह भी कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना इसी मंदिर में की थी।
हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस
मंदिर से जुड़ी एक अन्य मान्यता यह है कि एक बार मुगल सम्राट ने तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाकर चमत्कार दिखाने को कहा। तुलसीदास जी ने हनुमान जी के आशीर्वाद से जब चमत्कार कर दिखाया तो सम्राट ने प्रसन्न होकर मंदिर के शिखर पर इस्लामी चंद्रमा सहित किरीट कलश लगवाया। यही कारण रहा कि विभिन्न आक्रमणों के दौरान मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इस्लामी चंद्रमा का मान रखा और कभी भी इस मंदिर को क्षति नहीं पहुंचाई।
इस समय जो मंदिर है उसकी इमारत आंबेर के महाराजा मान सिंह प्रथम ने मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में बनवायी जिसका विस्तार महाराजा जयसिंह द्वितीय ने जंतर मंतर के साथ करवाया। कहा जाता है कि मंदिर के पहले के निर्माण से लेकर अब तक बहुत परिवर्तन हुए, लेकिन हनुमानजी की मूर्ति वहीं पर स्थापित है, जहां शुरू में थी।
मंदिर में 24 घंटे होने वाला अटूट मंत्र जाप यहां का विशेष आकर्षण है। श्रीराम जय राम जय जय राम का यह मंत्र जाप 1 अगस्त 1964 से लगातार चल रहा है। इसे विश्व का सबसे लंबा जाप भी कहा जाता है। इस बात का उल्लेख गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी है। यहां गर्भ गृह की दीवार व हनुमान जी सहित अन्य देवता दक्षिण की ओर देखते हुए मिलते हैं। हनुमान जयंती के दिन यहां भजन संध्या और भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण हिस्सा लेते हैं। इस दिन मंदिर प्रशासन की ओर से झांकी भी निकाली जाती है।
मंदिर में बाल हनुमानजी के अलावा श्रीराम सीता एवं लक्ष्मण, श्रीराधा कृष्ण, श्री हनुमानजी महाराज, संतोषी माता, शिव शंकर पार्वती, शिवलिंग, नंदी, हनुमानजी की गदा, मां दुर्गा, लक्ष्मी नारायण, भगवान गणेश, मां सरस्वती की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदिर के बाहर मिठाई और फूलों की कई दुकानें हैं। श्रद्धालु मंदिर में हनुमानजी को लाल रंग का चोला और लड्डू चढ़ाते हैं।
कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर के निकट स्थित एशिया के सबसे बड़े फूलों के बाजार में पिछले पंद्रह सालों से फूलों का बाजार भी लगता है। 
कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर

सभी धर्म प्रेमियोँ को मेरा यानि पेपसिह राठौङ तोगावास कि तरफ से सादर प्रणाम।

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